कुंडली में कौन सा ग्रह दिला सकता है संपत्ति का आधिपत्य

 संपत्ति का आधिपत्य एक ऐसी इच्छा है जो लगभग हर एक इंसान में होती है।  चाहे वह बैंक बैलेंस हो, या कोठी बंगला हो, या ज़मीन एवं जायदाद, संपत्ति का सुख किस्मत से ही किस्मत वालों को ही मिलता है।  लेकिन हर एक की ज़िन्दगी में संपत्ति का सुख नहीं होता, या यूं कहें किसी को बहुत सारी सम्पत्तियाँ मिल जाती हैं, तो कोई सारी ज़िन्दगी दर बदर भटकता रहता है।  पर ऐसा क्यों होता है, जानने के लिए आपको अपनी कुंडली को समझना होगा।  क्योंकि संपत्ति ज्योतिष/Property Astrology बता सकता है कि आखिर कौन से ग्रह बनाते हैं संपत्ति का योग।  


डॉ. विनय बजरंगी, जो सम्पत्ति ज्योतिष/Property astrology के महारथी माने जाते हैं, आज बताएंगे की कुंडली में संपत्ति योग के लिए कौन से ग्रह होते हैं ज़िम्मेदार।  यह राज़ जान कर आप भी जान सकेंगे की जन्म कुंडली के अनुसार अपने घर का कब बन रहा है आपका योग। क्या अपनी ज़िन्दगी में अपने घर में मिलेगा आपको प्रवेश? अथवा क्या पा सकेंगे आप अपनी पैतृक संपत्ति में हक़दारी? क्या ग्रहों की दशा कभी नहीं जाने देगी आपको किराए के घर से अपने घर में? ऐसे ही बहुत सारे सवालों के जवाब कुंडली में संपत्ति योग से जान सकते हैं।  

संपत्ति ज्योतिष – कुंडली का कौन सा भाग बताता है संपत्ति का योग – 

जन्म कुंडली हमारे जीवन के सभी हिस्सों को दर्शाती है। और हर व्यक्ति को पता होता है कि  संपत्ति हर व्यक्ति के जीवन में कितना अहम स्थान रखता है, सम्पत्ति योग/Property Yoga इससे जुड़े सभी प्रश्नों का उत्तर देती है। जन्म चक्र में उपस्थित चौथे भाव को भूमि, भवन एवं वाहन इत्यादि संपत्ति के योग निर्धारण का मूल माना जाता है। इसलिए संपत्ति के विचार के समय, ज्योतिष विज्ञाता अमूमन चौथे भाव को ही देखते हैं।  चौथे भाव में यदि एक शुभ ग्रह एक शुभ राशि में हो तो संपत्ति के योग शुभ होते हैं। 

इसके अतिरिक्त अगर चौथे भाव का स्वामी कुंडली में एक शुभ स्थान में हो तो भी संपत्ति योग उस व्यक्ति के हक़ में बनते हैं। मंगल ग्रह को अचल संपत्ति का स्वामी माना जाता है।  इसलिए अगर मंगल की शुभ दृष्टि चौथे भाव में हो तो भी संपत्ति मिलने की संभावना मजबूत हो जाती है। इस प्रकार, संपत्ति से जुड़े विचार में चौथे भाव एवं चौथे भाव के स्वामी का विश्लेषण एक अहम भूमिका निभाता है।  

चौथे भाव में सूर्य और संपत्ति के योग –

अगर चौथे भाव में सूर्य उच्च राशि में हो तो जातक 24 साल के अंदर-अंदर ही घर अथवा ज़मीन की मालकाना हक पा जाता है। सूर्य का मेष राशि में होना उस व्यक्ति के लिए संपत्ति प्राप्ति का समय 45 वर्ष के बाद का योग बनाता है। अगर मंगल एवं चौथे भाव का स्वामी नीच राशि में हो तो इसका अर्थ होता है की वह व्यक्ति अपनी सम्पत्ति को खुद ही ख़तम कर देगा। चौथे भाव के स्वामी या नौवें भाव के स्वामी का लाभ भाव में होना, संपत्ति योग की मज़बूती की और संकेत देता है।

इसी प्रकार, ऐसे कई विचार होते हैं, जो संपत्ति के योग का निर्धारण करने में सहयोग देते हैं। डॉ. विनय बजरंगी के ऑनलाइन रिपोर्ट या वायस रिपोर्ट के माध्यम से आप भी जान सकते हैं कि अपनी संपत्ति से जुड़े सवालों के जवाब।  

Source :- कुंडलीमें कौन सा ग्रह दिला सकता है संपत्ति का आधिपत्य


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